उत्तर प्रदेशबस्तीलखनऊसिद्धार्थनगर 

।।‌ ग्राम पंचायत मंझरिया में जिले में सबसे ज्यादा 215 मनरेगा मजदूरों की लग रही फर्जी हाजिरी।।

।। डीएम , सीडीओ व डीसी मनरेगा का नाम बताकर मस्टर रोल जारी करने से मना करते हैं सम्बंधित बीडीओ - ग्राम प्रधान।।

अजीत मिश्रा (खोजी)

।।‌ ग्राम पंचायत मंझरिया में जिले में सबसे ज्यादा 215 मनरेगा मजदूरों की लग रही फर्जी हाजिरी।।

💫 ग्राम पंचायत मंझरिया की तरह हर ग्राम पंचायतों में मनचाहा मस्टर रोल जारी करने की अनुमति दे जिम्मेदार अधिकारी – ग्राम प्रधान।

💫 ग्राम पंचायत मंझरिया की तरह हर ग्राम पंचायतों में लगेगी मनरेगा मजदूरों की हाजिरी – ग्राम प्रधान।

💫 डीएम , सीडीओ व डीसी मनरेगा का नाम बताकर मस्टर रोल जारी करने से मना करते हैं सम्बंधित बीडीओ – ग्राम प्रधान।

26 दिसंबर 25, उत्तर प्रदेश।

 कुदरहा – बस्ती ।। विकासखंड कुदरहा के अंतर्गत ग्राम पंचायत मंझरिया में जिले में सबसे ज्यादा 215 मनरेगा मजदूरों की फर्जी हाजिरी लग रही है जिसको लेकर सभी विकास खण्डों के सभी ग्राम पंचायतों के ग्राम प्रधानों ने जिलाधिकारी कृत्तिका ज्योत्सना , मुख्य विकास अधिकारी सार्थक अग्रवाल व डीसी मनरेगा संजय शर्मा से मांग किया है कि ग्राम पंचायत मंझरिया की तरह हर ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधानों को मनचाहा मस्टर रोल जारी करने की अनुमति दे ताकि ग्राम पंचायतों का समग्र विकास हो सके ।

    विकासखंड कुदरहा में ही बीडीओ आलोक कुमार पंकज ही ऐसे बीडीओ है जो समस्त ग्राम प्रधानों को मनरेगा कार्यों के लिए मनचाहा मस्टर रोल जारी करने की खुली छूट दी है और जिले के अन्य विकासखंडों में खंड विकास अधिकारियों द्वारा मस्टर रोल जारी करने व विकास कार्यों की स्वीकृति देने के लिए तरह-तरह के कानून बताते हैं और उच्च अधिकारियों का हवाला देकर विकास कार्यों की स्वीकृति देने व मस्टर रोल जारी करने से मना करते हैं । 

     सूत्रों की माने तो डीसी मनरेगा संजय शर्मा सभी विकासखंडों में चल रहे मनरेगा कार्यों की धरातलीय पड़ताल करते हैं लेकिन जहां कमजोर और गरीब ग्राम प्रधान रहते हैं एवं मनरेगा मजदूरों की संख्या कम रहती है वही ग्राम पंचायत में जांच करने के लिए जाते हैं जहां मजबूत ग्राम प्रधान है व मनरेगा मजदूर बड़ी संख्या में है वहां जांच एवं कार्रवाई करने से कन्नी काटते हैं सूत्रों से यह भी पता चला है कि कई विकासखंडों के अनेक ग्राम पंचायतों में जहां काम मजदूर लगे थे वहां डीसी मनरेगा भुगतान रोकने के लिए नोटिस जारी कर दिया है और जहां ज्यादा मजदूर लगे हैं वहां भुगतान रोकने के लिए कोई नोटिस जारी नही किया है ।

      इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जितना ही अगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव नजदीक है उतना ही ग्राम प्रधानों का उत्पीड़न जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है । आखिर क्यों गरीब व कमजोर ग्राम प्रधानों को विकास कार्यों के लिए स्वीकृति व मस्टर रोल जारी करने की अनुमति नहीं मिल पा रही है ? जिसको लेकर जिले में तरह-तरह की चर्चाएं चल रही है ।

मंझरिया ग्राम प्रधान सरिता का जुगाड़ मनरेगा कार्यों को चलाने के लिए सफल है वही जुगाड़ जिले के अन्य ग्राम प्रधान जानने के लिए परेशान हैं । अब देखना यह है डीएम , सीडीओ व डीसी मनरेगा द्वारा ग्राम पंचायत मंझरिया का धरातलीय पड़ताल कर पाते हैं या नहीं ?

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